Saturday, June 09, 2007

जिंदगी में कुछ ऐसी लकीरें खींचना चाहता हूँ !

जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ !
जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ!

मुशिबत की पहाड़ क्यों ना खडी हो जाए !
जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ !
जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ!

अपनी लकिरों का नाम , लक्ष्मण की लकीर से बड़ा करना चाहता हूँ।
जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ !
जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ!

घर परिवार संसार को इस लकीर की महत्व समझाना चाहता हूँ।
जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ !
जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ!

इस लकीर में अह्साह देना चाहता हूँ ।
जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ !
जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ!

इस लकीर कोह आवाज देना चाहता हूँ।
जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ !
जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ!

इस लकीर से पैगाम देना चाहता हूँ ।
जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ !
जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ!

इस लकीर से लोगों कोह लगाम देना चाहता हूँ।
जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ !
जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ!


--- मेरी पहली हिंदी कविता !! ओम प्रकाश बघेल । (My First Hindi Poem )

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