जिंदगी में कुछ ऐसी लकीरें खींचना चाहता हूँ !
जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ ! जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ! मुशिबत की पहाड़ क्यों ना खडी हो जाए ! जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ ! जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ! अपनी लकिरों का नाम , लक्ष्मण की लकीर से बड़ा करना चाहता हूँ। जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ ! जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ! घर परिवार संसार को इस लकीर की महत्व समझाना चाहता हूँ। जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ ! जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ! इस लकीर में अह्साह देना चाहता हूँ । जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ ! जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ! इस लकीर कोह आवाज देना चाहता हूँ। जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ ! जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ! इस लकीर से पैगाम देना चाहता हूँ । जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ ! जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ! इस लकीर से लोगों कोह लगाम देना चाहता हूँ। जिंदगी में कुछ एसे लकीरें खींचना चाहता हूँ ! जीसको पार में कभी नही करना चाहता हूँ! --- मेरी पहली हिंदी कविता !! ओम प्रकाश बघेल । (My First Hindi Poem ) |
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